आखिर सास बहू को बेटी जैसा क्यों नहीं मानती?? – अमिता कुचया

आज  सुबह नौ बजे डोर बेल बजी तब सेजल की शादी के बाद जब पहली बार दोनों ननदें आईं तो उसकी सास रजनी जी ने कहा-” सेजल जा दरवाजा खोल,  नीता और रीता आ गई है और फिर  वो चौंक गई क्या! आपने बताया नहीं मम्मी जी! फिर रजनी जी ने कहा- “मेरी उनसे ही सुबह फोन पर बात हुई।अभी थोड़ी देर पहले ही फोन पर उन्होंने बताया कि पहुंचने ही वाली है।”

ठीक है ••मम्मी जी कहकर वह बाहर चली गई। उसने दरवाजा खोला।तब रजनी जी ने कहा -अरे, सेजल कैब वाले को पैसे  भी दे देना। फिर उसने कैब वाले को पैसे भी दिए।

अरे सेजल‌ बेटा सामान भी रखवा ले। उसने सामान भी रखवा लिया।

सेजल‌ संयुक्त परिवार से आई थी।उसे सबसे बात करना बहुत अच्छा लगता था। इसी कारण उसे लग रहा था।दीदी लोगों के पास बैठूं। वह चाय नाश्ता कराकर जैसे ही  उनके पास बैठी। और दीदी क्या हाल चाल है, और सुनाइए•••तभी रजनी जी झिड़क देती अरे बहू, तू यहां क्यों बैठ रही है?

जा••• खाने की तैयारी कर , और वह चली जाती है।

उसकी ननदें उसकी शादी के समय नहीं रुक पाई थीं ।अब बच्चों के इम्तिहान खत्म हो गये तो वो  रहने आ गई।

पर सेजल को उनके पास बैठना अच्छा लगता था।वो सोचती थी।कि मैं भी उनके साथ बैठकर गपशप करुं। पर जब भी फ्री होती तो कभी रजनी जी काम बता देती,कभी ननदें काम बता देतीं। कुछ दिन ऐसा ही चलता रहा ••••

एक दिन जब कपड़े उठा कर वह  जैसे ही अंदर कमरे में पहुंची तो रजनी जी के साथ नीता और रीता दोनों बातें करते- करते चुप हो गईं। जैसे ही वह उस कमरे से निकली तो फिर बातें चालू हो जाती।खैर•••

उसे लगता कि दीदी लोग मुझसे बात क्यों नहीं कर रहीं ।कभी -कभी ऐसा लगता है कि मेरे खिलाफ जैसे मम्मी को भड़का रही हो।तभी तो वहां पहुंचो वो तो शांत हो जाती हैं।

लेकिन दोनों बेटियां अपनी ससुराल की बात कर रही होती थीं।वो सेजल खुली नहीं थी। इसलिए वो चुप हो जाती थी।

इस तरह अब सेजल भी कुछ न कहती,  वह शांत होकर अपने कमरे में चली जाती,  इस तरह उसे उसकी सास ननदें अपनी बातों में शामिल न करती ,उसे बहुत बुरा लगता। अब वो सोचती कि क्या मैं काम करने के लिए ही हूं!!



जो खाना हो ,फरमाइश कर दो। फिर भी वो अपने फर्ज निभा रही थी। नहीं तो कहने हो जाएगा कि मेरी भाभी को कुछ बनाना ही नहीं आता। खैर ••••

धीरे -धीरे कुछ  और समय निकल गया । रीता और नीता दोनों ननदें चली गई।

सेजल को अब आदत हो गई  थी।कि काम करती और अपने कमरे में चली जाती है, अब वह सास रजनी जी के पास भी नहीं बैठती थी।

अब सास को अखरने लगा कि बहू सेजल तो मेरे पास बैठती ही नहीं है।अब बात किससे करुं?

सबसे फोन पर भी बात कितनी करेंगी,

बेटियां और रिश्तेदार अपने समय  के अनुसार ही बात करते।

तभी एक दिन उसने रजनी जी को अपनी छोटी बहन से फोन पर कहते सुना मेरी बहू सेजल को हमसे मतलब ही न है, न ही मेरे पास बैठती है।और न ही बात करती है। और तो और  वो अपनी बहन को बताती है, हमने सोचा था कि एक भरे पूरे परिवार से बहू लाएंगे।तो मिलनसार होगी।पर बहू का स्वभाव धीरे -धीरे ही समझ में आता है।

जब  उसने फोन पर सास रजनी जी की बात सुनी सुनकर धक रह गई। मम्मी जी मेरे बारे में क्या बोले जा रही हैं। मैं जब उनके पास बैठने को करती थी।वो कितने काम बता देतीं या दीदी लोगों से बात करते -करते वो चुप हो जाती थीं। और आज उनके मन में ये सब  बातें हैं।

अब वह सोचती हैं तो क्या कहा जाए ,कुछ बोलूंगी तो बुरा न मान जाएं।खैर ••••

उसने एक कान से  सुनी दूसरे कान से निकाल दी।

कुछ समय बाद जब मौसी जी आई तो उन्होंने उसका व्यवहार देखा, वह सब बहुत अच्छे से मैनेज कर रही थी। सुबह से लेकर रात तक अच्छे से बात करती। पर मौसी जी बहन होने के कारण  रजनी जी के पास ज्यादा बैठती। फिर भी वह यह महसूस कर रही थी।सेजल कम जरूर बोलती है पर ठीक तो है।

तब उन्होंने कहा-” अरे सेजल बेटा हमारे पास भी बैठो ,हमसे भी बात करो।”



तभी रजनी अपनी आदतानुसार वो बोली अभी इसे सायं आरती करनी है। तब मौसी जी ने कहा -“थोड़ी देर से कर लेगी।पांच दस मिनट मेरे पास बैठ जाएगी।तो क्या हो जाएगा?”

आज सेजल बोल पड़ी मौसी जी यही कारण है कि मम्मी के पास बैठती नहीं हूं। क्योंकि कोई आ जाता है तो मुझसे काम ही बोलती रहती है।या मुझे बैठने ही न देती है।जैसे मैं इस घर का हिस्सा ही नहीं हूं। मुझे मम्मी जी एक काम वाली बाई जैसा समझने लगती है।अब बताइए मैं क्या करु?

ऐसे  ही जब रीता और नीता दीदी आई थी ।तब भी इनका ऐसा ही व्यवहार था। और फिर सबसे फोन पर कहती हैं ,मेरी बहू सेजल मिलनसार नहीं है।

फिर रजनी जी ने कहा -“अरे छोटी सेजल बहू काम नहीं करेंगी।तो कौन करेगा।नीता और रीता बेटी अपने घर में तो काम करती ही है। उनसे क्या काम करने कहूं? अरे ये हम लोग के साथ बैठेगी तो क्या  काम समय पर हो पाएंगे! इसीलिए कह देती थी।बस और क्या •••”

फिर मौसी जी ने कहा-” दीदी चार  लोगों का काम चार हाथों से  ही जल्दी होता है। इसीलिए सब साथ में काम करती तो सेजल को भी अपनापन लगता।

ऐसे में क्या हुआ, न आपने  घर के काम में साथ  दिया ,न ही रीता और नीता ने •••ऐसा करना सही है , क्या?

ऐसे में काम कम रहते हैं क्या? इसी तरह वो दोपहर में कमरें में आराम  करने लगी।

यदि वो रोज काम करके कमरे में थोड़ा देर आराम कर ले तो क्या बुराई है?”

अब उनको भी महसूस हुआ कि  सेजल भी थक जाती रही होगी। थोड़ा हम सब भी बात करते और साथ में काम कराते तो दिल से वह दूर न होती।

अब मौसी ने  कहा-” बेटा मेरी दीदी ही यहां गलत है। तुम अपनी ‌जगह ठीक थी।”

थोड़ी देर में रजनी जी बात करने के बाद दिया बाती करने स्वयं उठी और शाम की संध्या कर ली।



उसके बाद रजनी जी ने समझ लिया साथ देने से अपनापन ही बढता है, न कि कानाफूसी से•••

अब सेजल भी अंदर से खुश हो गई थी ।चलो मौसी जी की बात मम्मी को  समझ में आ गई। ऐसे ही मौसी जी दो दिन तक रही।अब सेजल को  भी साथ बैठने का समय मिल जाता था और काम भी समय पर हो जाते थे।

फिर मौसी जी के जाने का समय हुआ, तब सेजल‌ ने मौसी जी के पैर छुए उसी समय मौसी जी ने कहा-सेजल बहू तुम्हारी जगह  मेरे पैरों में नहीं बल्कि दिल में है।तुम मेरे गले लगो।उसे बड़े ही प्यार से गले लगा लिया ये देखते ही रजनी जी की आंख भर आई।वो बोली – “छोटी तूने मेरी आंखों में बंधी पट्टी  खोल दी।  साथ रहते हुए भी इसे गलत समझ रही थी। तूने दो दिन में ही मेरे मन के दरवाजे खोल दिए।अब सेजल के मन में भी मेरे प्रति कोई मैल न होगा।”

फिर छोटी बहन ने भी कहा- दीदी आपकी बहू हीरा है हीरा•••

इसकी आंखों की चमक कभी फीकी न पड़ने देना। कभी किसी से इसकी बुराई न करना।न ही हाथ छोड़ना, न ही साथ छोड़ना। क्योंकि बहू ही सदा साथ देगी, न की बेटी।और वो दोनों का हाथ देते हुए बोली। अब दोनों सास बहू के मन में भी एक संतोष का भाव था। दोनों एक दूसरे को  देखकर मुस्करा दी।

दोस्तों -हम बहू के साथ ऐसा व्यवहार रखें कि उसे पराया सा न लगे। जैसे बेटी के आने पर बहू के प्रति व्यवहार में बदलाव न लाए।कि उसे उसकी उपेक्षा महसूस हो। जैसे :एक मां बेटी के प्रति अधिक ममता उड़ेलती है और बहू को नजरांदाज करती है। ऐसे में साथ रहने वाली बहू भी दुखी हो जाती है। ऐसे में कड़वाहट न पनपने पाए। इसलिए एक सा व्यवहार रखें।इसकी पहल सास को निश्चित रूप से करनी चाहिए। ताकि बहू का साथ हमेशा बना रहे।

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आपकी अपनी दोस्त ✍️

अमिता कुचया

 

 

 

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