ऐसे जॉब का क्या फ़ायदा-प्रियंका पटेल

मंदिरा और अविनाश की नई नई लव मैरिज शादी हुई थी लेकिन कहने को तो यह लव मैरिज थी लेकिन इस शादी में दोनों के घरवालों की रजामंदी थी। एक संडे के दिन मंदिरा और अविनाश पास के ही शॉपिंग मॉल में घूमने के लिए गए मंदिरा को मॉल में एक सलवार सूट पसंद आया तो उसने अविनाश को खरीदने के लिए कहा अविनाश ने बोला ठीक है खरीदेंगे और थोड़ा घूम लेते हैं।

ऐसा करते अविनाश और मंदिरा माल के सारी दुकान घूम  चुके थे लेकिन अविनाश को कोई भी चीज पसंद नहीं आ रहा था। अविनाश को वह चीज इसलिए नहीं पसंद आ रहा था कि वह देखने में अच्छा नहीं था बल्कि उनकी कीमत ज्यादा थी अविनाश मंदिरा से बोला चलो चलते हैं कभी बाद में खरीदेंगे मंदिरा ने भी जिद कर दी कि नहीं मुझे वो सूट लेना है।  पता नहीं कल वह बिक जाएगा तो मंदिरा ने अविनाश को बोला कि साफ-साफ बताओ तुम खरीदना चाहते हो या नहीं अविनाश बोला अरे जान तुम्हें नहीं खरीदूंगा तो किसको खरीदूंगा, मंदिरा समझ गई थी कि यह सिर्फ एक अविनाश का बहाना है वह अंदर से खरीदना नहीं चाहता है गुस्से में लाल मंदिरा मॉल से बाहर आ गई थी।

अविनाश और मंदिरा अब घर के लिए निकल चुके थे घर आने के बाद ही अविनाश मंदिरा से बोला जल्दी से कुछ खाने को लगाओ बहुत भूख लगी है तभी अविनाश की मां यानी कि मंदिरा कि सास  बीच में ही बोल पड़ी तुम दोनों बाहर खा कर नहीं आए क्या फिर क्या घूमने गए थे, मैं तो सोच रही थी कि मेरे लिए भी कुछ पैक करवा लाओगे पर यह तो दोनों राजा और रानी घर में ही आकर खाना ढूंढने लगे।  



अविनाश मां की बात काटते हुए बोला तुम्हें पता नहीं है बाहर इतना महंगा मिलता है बर्गर ही  देख लो ₹25 में 4 आता है और बाहर एक बर्गर ₹49 का आता है इससे अच्छा तो हम घर में ही ना बना ले।  

अविनाश की बातें सुन मंदिरा सोचने लगी शादी होते ही अविनाश कितना बदल गया है एक यही अविनाश था जब हम दोनों घूमने जाते थे होटल से इतनी महंगी महंगी आइटम आर्डर करता था। सच में शादी के बाद लोग कितना बदल जाते हैं आज मंदिरा को पता चला।  लेकिन मंदिरा इस बात से खुश नहीं थी रात को जब अविनाश और मंदिरा सोने के लिए अपने कमरे में गए मंदिरा अविनाश से बात नहीं कर रही थी अविनाश इस बात को समझ चुका था कि मंदिरा उससे गुस्सा है।

वह बोला मंदिरा  क्या हो गया तुम मुझसे बात क्यों नहीं कर रही हो मैंने बोला ना खरीद दूंगा।

मुझे तुमसे अब कोई चीज नहीं खरीदना है अब मैं भी जॉब करूंगी यह सुन अविनाश हंसने लगा हा हा हा हा हा हा क्या बात कर रही हो।  मंदिरा नौकरी करना कोई बच्चों का खेल नहीं है जो तुम कर लोगी यह तुम्हारा किचन नहीं है यहां पर कुछ भी बना दो और खिला दो कोई कुछ नहीं बोलने वाला वहां एक भी चीज गलत करो तो बॉस की कितनी सुननी पड़ती है यह हमें पता है।

मंदिरा ने बोला चाहे कुछ भी हो जाए मैं अब जॉब करूंगी कम से कम मुझे तुम्हारे सामने किसी भी चीज के लिए हाथ तो नहीं फैलाना पड़ेगा।



अविनाश इस बात को मजाक में ले रहा था और उसने बोला चलो ठीक है अब सो जाते हैं सुबह होते ही मंदिरा  तैयार बैठी थी यह देख अविनाश बोला कहां जा रही हो मंदिरा, मंदिरा ने जवाब दिया क्या तुम मुझे रास्ते में छोड़ सकते हो मुझे वहां से मेरी सहेली अपनी स्कूटी से ले लेगी,  उसने अपने स्कूल में टीचर के जॉब लिए बात करी है वही मैं जा रही हूं इंटरव्यू देने यह सुन अविनाश हक्का-बक्का रह गया लेकिन वह कुछ बोल नहीं सका बस इतना ही बोला धीरे से कि मैं कमाता ही हूं तो तुम्हें कमाने की क्या जरूरत है।

अपनी बाइक से मंदिरा को अविनाश ने लाल चौराहे पर छोड़ दिया था।  मंदिरा कॉमर्स ग्रेजुएट किया थी। इसलिए मंदिर का गणित अच्छा था। मंदिरा इंटरव्यू में पास हो गई थी और अगले दिन से ही स्कूल आने के लिए जोइनिंग लेटर भी मिल गया ।

आज मंदिरा  बहुत खुश थी यह सोच रही थी अब मुझे किसी भी बात के लिए अविनाश से पैसे नहीं मांगने पड़ेंगे। अब  नियमित रूप से मंदिरा स्कूल जाने लगी थी अविनाश उसे स्कूल छोड़ कर अपने ऑफिस चला जाता था।

एक महीने बाद जब मंदिरा को सैलरी मिली तो घर आते ही अविनाश ने उससे सारी सैलरी ले ली।  इससे मंदिरा बहुत दुखी हो गई उसने सोच रखा था कि जब पहली सैलरी मिलेगी तो वह इस सैलरी से सबसे पहले वह अपनी पसंदीदा सूट खरीदेगी और अविनाश के लिए भी एक अच्छा सा शर्ट और अपनी सासू मां के लिए भी एक अच्छी सी साड़ी खरीदेगी।



लेकिन उसका सपना एक पल में चकना चूर हो गया  था अविनाश ने यह बोलकर मंदिरा से पैसे ले लिया कि मेरी सैलरी इस महीने लेट आएगी इस वजह से घर का किराया देना है तो तुम पैसे दे दो।  

मंदिर कुछ ना बोल सकी अब हर महीने कोई ना कोई बहाना करके अविनाश मंदिरा से पैसे ले लेता था मंदिरा सोचने लगी इससे तो अच्छा मैं जॉब नहीं करती थी तभी था क्योंकि अब घर का काम भी करो और स्कूल भी जाओ और पैसे भी ₹1 नहीं मिले।

पहले तो अविनाश के पैसे से ही घर का सारा काम चल जाता था लेकिन अब मैं भी कमा रही हूं फिर भी घर में वैसे ही  पैसे की तंगी। एक दिन शाम को डिनर में मंदिरा सब्जी में नमक डालना भूल गई थी इस पर अविनाश ने उसे जोर से डांट दिया।  मंदिरा अगर तुम्हें खाना बनाने में मन नहीं लगता है तो बता दो मां खाना बना लिया करेंगी तुम जबसे जॉब क्या करने लगी हो तुम्हें देख रहा हूं तुम्हारे रंग-ढंग ही बदल गए।  



मंदिरा भाग कर अपने कमरे में चली गई और खूब जोर से रोने लगी इस घर के लिए जितना भी करो उतना कम है क्या मेरे सपने मेरे ख़्वाहिश कुछ नहीं है बस दिन भर इनकी सेवा करो जॉब भी इसलिए किया था कि कम से कम कुछ नहीं तो अपने मनपसंद की चीजें खरीद लूंगी।  लेकिन वह भी महीना के आखिर मे अविनाश मेरे सारे पैसे ले लेता है उसने फैसला किया कल से जॉब नहीं जाएगी।

सुबह होते ही अविनाश मैं देखा कि आज मंदिरा तैयार ही नहीं है अविनाश बोला क्या हो गया मंदिरा आज स्कूल नहीं जाना क्या मंदिरा ने  बोला आज के बाद मैं जॉब नहीं करूंगी क्योंकि मैं जॉब करती हूं तब भी तुम्हारे पास एक भी पैसे नहीं होते और मैं नहीं करती थी तब भी वही हाल था  इससे अच्छा तो मैं जॉब नहीं करूं। अविनाश मंदिरा को कोई भी जवाब नहीं दे सका बस इतना सा बोल के ऑफिस चल दिया था तुम्हारी इच्छा पहले भी तुम अपने मन से जॉब करने गई थी और अभी  भी अपने मन से जॉब छोड़ रही हो।

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