ऐसे होते हैँ ससुर जी – मीनाक्षी सिंह

अंकित ,क्यूँ आ रहे हैँ पापाजी (ससुर जी) गांव से ! तुम्हे पता हैँ हम दोनों वर्किंग हैँ ! शुभी (बेटी ) भी सुबह स्कूल चली जाती हैं ! पूरा दिन घर साफ सुथरा पड़ा रहता हैँ ! पापाजी को हमेशा बलगम रहता हैँ ! पूरे दिन खांसते और थूकते रहते  हैँ ! और तो और उन्हे सुबह 5 बजे चाय चाहिए ,10 बजे खाना ,फिर शाम की चाय ! मैं ऑफिस से आकर थक जाती हूँ ! कुछ हल्का फुल्का बना लेती हूँ शाम को ! उन्हे तो पूरा खाना चाहिए होता हैँ ! कैसे मैनेज करूँगी यार ! पिछली बार तो मम्मी जी भी आयी थी तो उन्होने सारा काम संभाल लिया था ! पर अब मम्मी जी के जाने के बाद मुझसे अकेले किसी की सेवा नहीं होगी ! सुन रहे हो य़ा बहरे हो गए हो अंकित ! रानी ( अंकित की पत्नी ) झल्लाते हुए बोली !

अंकित -तो क्या चाहती हो मैं पापा से मना कर दूँ कि मत आईये ! आपकी बहू मना कर रही हैँ ! वो आपको दो रोटी भी नहीं खिला सकती !

तभी शुभी कमरे से आँख मलती हुई बाहर आयी ! क्या कहा आपने पापा ,दादू आ रहे हैँ ! आई एम वैरी हैप्पी ! मैं दादू को बहुत मिस कर रही थी ! अब तो दादी भी गोड के पास चली गयी हूँ ! दादू बहुत रोते हैँ मम्मा ! मैने फ़ोन पर बात की थी उनसे ! रो रहे थे ! कह रहे थे तेरी याद आ रही हैँ बिट्टू ! तभी आ रहे हैँ ! मेरी हर बात मानते हैं दादू ! अब मैं खूब मस्ती करूँगी उनके साथ ! आप तो रहती नहीं हैँ घर में ! स्कूल से आकर बोर हो जाती हूँ ! मम्मा ,मैं खेलने जा रही हूँ पार्क में ! सबको बताऊंगी मेरे प्यारे प्यारे दादू आ रहे हैँ ! चहकती हुई शुभी बाहर चली गयी !

अंकित – देख रही हो रानी ,कितनी खुश हैँ शुभी ! कितना जीवन होता हैँ बड़े बूढ़ो का ! वो खुश रहती हैँ अपने दादू के साथ ! और पापा भी माँ को ज्यादा याद करके परेशान नहीं होंगे ! वैसे भी वो ज्यादा दिन तो रुकते नहीं ! उन्हे गांव की याद आने लगती हैँ ! चले जायेंगे !




रानी – तुम दोनों को कुछ करना नहीं पड़ता इसलिये ऐसा बोल रहे हो ! मेरी लाइफ तो बिल्कुल चकरघिन्नी सी हो जायेगी ! अब आ रहे हैँ तो आने दो ! पर मीरा (कामवाली ) को फिर बुला लेना ! और ज्यादा दिन रुके वो तो मैं मम्मी के पास चली जाऊंगी शुभी को लेकर ! वही से ऑफिस चली जाया करूँगी ! तुम दोनों बाप बेटे आराम से रहना !

अंकित – ठीक हैँ ,आने तो दो यार उन्हे पहले ! अभी से ही दिमाग खराब कर रही हो !

अंकित  निर्धारित समय पर पापा जी को ले आया ! रानी ने दरवाजा खोला तो आश्चर्य में रह गयी क्यूंकी पापा जी अकेले नहीं आयें थे ,उनके साथ रानी के मायके से उसके मम्मी ,पापा भी साथ थे ! रानी की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा ! उसने पापा जी के पैर छूये ! मम्मी पापा के गले लगी ! सभी को पानी दिया ! चाय नाश्ता कराया ! रानी ने अपनी मम्मी से खूब जी भरकर बातें की ! शुभी भी सभी लोगों को घर में एक साथ देखकर ख़ुशी से फूली नहीं समा रही थी !  मम्मी आप दोनों पापा जी के साथ यहाँ कैसे ! आपको तो एक दिन की भी फुर्सत नहीं होती ! मैं कहती हूँ तो भी नहीं आती आप !

मम्मी – बेटा ,तेरे ससुरजी ने फ़ोन किया ! कहते आप लोगों से मिलने का मन हैँ और कुछ ज़रूरी बातें भी करनी हैँ ! आप लोग बहू के घर आ सकते हो तो आ जाईये ! मैं भी आ रहा हूँ ! समधी जी के आग्रह को हम ठुकरा नहीं पाये ! तभी रानी के ससुरज़ी ने सभी को आवाज लगायी ! सभी हाल में आ गए !

जी ,समधीजी ! कहिये ! आपने हम सब को किसी विशेष मकसद से बुलाया हैँ क्या ??

जी गुप्ताजी  (रानी के पापा ) ! जब से मेरी पत्नी ,अंकित की माँ मुझे छोड़कर गयी हैँ तबसे बस ज़िन्दगी कट रही हैँ ! जी नहीं रहा हूँ ! बस रुक रुककर सांसे चल रही हैँ ! इसलिये अपनी सांसों का मुझे अब कतई भरोसा नहीं कब थम जाये ! तभी आप सब को बुलाया ! मैं अपनी जमीन जायदाद का बंटवारा करना चाहता हूँ ! सबकी मौजूदगी होनी आवश्यक हैँ !




पर समधीजी ,अंकित तो अकेला हैँ ! सब उसी का है आपके बाद ! तो बंटवारे की क्या आवश्यकता ??

हाँ पापा ,,क्या ज़रूरत हैँ ! जब तक आप हैँ संभालिये ! फिर मैं देख लूँगा ! अंकित बोला !

पापा – बेटा ,वो मैं भी जानता हूँ ! पर कुछ चीजें साफ होना ज़रूरी हैँ ! बस वही बताना हैँ !

रानी मन ही मन डर रही थी कि कहीं मुंह बोली ननद को तो पापाजी हिस्सा नहीं देना चाहते !

अंकित – जी कहिये फिर पापा !

पापा – बात ये हैँ बेटा ,जीवन का कोई भरोसा नहीं कि पति पत्नी में कौन पहले दुनिया से विदा हो जायें ! इसलिये अगर तू पहले जाता हैँ ,तो बहू को कोई समस्या ना हो ! उसे इधर उधर कोर्ट कचहरी के चक्कर ना काटने पड़े ! अकेली औरत को दुनिया बहुत परेशान करती हैँ ! इसलिये मैं शहर का ये घर ,प्लोट ,खेत बहू के नाम कर रहा हूँ ! गांव का घर और जो थोड़ा बहुत हैँ वो तेरे नाम ! और तुम दोनों को इस कागज पर भी साइन करने हैँ ! अगर मेरे बाद सविता (मुंह बोली बेटी ) अपने मायके आती हैं तो उसे जैसा मान सम्मान अभी मिलता हैँ ,वैसा ही मिलता रहेगा अन्यथा वो जायदाद में हिस्सेदारी ले सकती हैँ ! बताओ तुम दोनों को मेरा  फैसला मंजूर हैँ या नहीं !

रानी जो अपने ससुरजी को गलत समझती थी ,आज उनके फैसले को सुन स्तब्ध रह गयी कि बहू के नाम अपनी जायदाद करना बहुत बड़ी बात है ! रानी आँखों में आंसू लिए ससुरजी के पैरों में पड़ गयी ! बोली -पापा जी ,आप निश्चिंत रहिये ,दीदी के मान सम्मान में कभी कोई कमी नहीं आयेगी ! अगर आप ये बात नहीं भी कहते फिर भी मैं उनके मान सम्मान में कभी कमी नहीं आने देती ! अब आप कहीं नहीं ज़ायेंगे ,शुभी और हमारे पास रहेंगे हमेशा !




अंकित  ने भी रानी की बात का समर्थन किया !

पापा जी भी आँखों में आंसू लिए हाथ की लाठी को किनारे रख दोनों हाथों से रानी को आशिर्वाद देने लगे ! कांपती आवाज में बोले ! सदा सौभाग्वती रहो बहू !

समधी समधिन भी ये दृश्य देख भावुक हो गए !

#मासिक_प्रतियोगिता_अप्रैल

स्वरचित

मौलिक अप्रकाशित

मीनाक्षी सिंह

आगरा

4 thoughts on “ऐसे होते हैँ ससुर जी – मीनाक्षी सिंह”

  1. Achhi kahani hai !! Message bhee achha hai!! Bahut nko property do aur wo Khushi Khushi sewa karegi! Magar agar Bahu talak lele fir ????

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  2. सुन्दर ओर पढ़ने योग्य साथ ही में शिक्षा प्रद कहानी

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