“आवरण” – कविता भड़ाना

नए साल के स्वागत में आज सोसाइटी की रौनक बस देखते ही बन रही थी…खाने – पीने के स्टॉल , कपड़ो के स्टाल, आर्टिफिशियल जूलरी और गेम्स के स्टाल बड़े तरीके से सुंदर से पार्क में लगे हुए थे, वहीं एक तरफ लाइव संगीत और डीजे पर बच्चे, महिलाएं और पुरुष थिरक रहे थे…

प्रिया ने देखा आज उसकी सोसाइटी की सभी महिलाएं अपने अपने बच्चो और पति के साथ मेले का लुफ्त लेने में व्यस्त है..

जिद करते बच्चे, प्यार भरी डांट से अपनी पत्नियों को कभी समझाते तो कभी उनकी जिद के सामने हार मानते, चुहलबाज़ी करते पतियों को देख प्रिया को आज बहुत खालीपन महसूस हो रहा था, ढेर सारी खरीददारी के बाद भी प्रिया का मन उदास ही था.. 

प्रिया ने अभी छ: महीने पहले ही इस सोसाइटी में पैंट हाउस लिया है, उसके पति बहुत बड़े बिजनेस मैन है और अधिकतर बाहर ही रहते है, एक बेटा है जोकि पढ़ाई के लिए बाहर हॉस्टल में रहता है…

कुक, ड्राइवर, महंगी गाड़ी के साथ प्रिया बड़े ही शान से रहती थी…. आते ही उसने सोसाइटी की महिलाओं के साथ  किट्टी ज्वाइन की और बस फिर तो आए दिन प्रिया बात बेबात उन्हें अपने घर आने के न्योते देती रहती और प्रिया के अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित सुंदर घर और रहन सहन को देखकर वह सभी महिलाओं की सबसे पसंदीदा भी हो गई थी… प्रिया भी अपनी आन बान शान दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ती थी, हर समय सेवा में तत्पर नौकरों की फौज पर हुकुम चलाती प्रिया को देख सभी महिलाएं उसकी किस्मत से जल उठती और अपनी तुलना प्रिया से करती रहती… कइयों ने तो अपने पतियों के साथ क्लेश भी शुरू कर दिए की देखो प्रिया का पति कितना अच्छा है कैसे रानी की तरह रखता है और एक हम है सारा दिन काम करो , पति की, बच्चो की सेवा में लगे रहो, फिर भी कोई सुख नहीं है… 




आज प्रिया ने अपने जन्मदिन की पार्टी में सभी को बुलाया था तो सभी महिलाएं अच्छे से सज संवर कर  उपहार लेकर प्रिया के घर पहुंची..बेहद सुंदर सजावट और लजीज़ व्यंजनों से पूरा ड्राइंग रूम महक रहा था, सभी ने बधाई दी और पार्टी का आनंद लेने लगी की तभी एक बहुत ही प्रभावशाली अधेड़ उम्र के पुरुष ने कुछ लोगों के साथ घर में प्रवेश किया और उचटती सी नजर से सबकी ओर देख अंदर चले गए, पूछने पर पता चला कि ये प्रिया के पति है… “में अभी आई” कहकर प्रिया भी अपने पति के पीछे पीछे चली गई… थोड़ी देर बाद ही उन्हें तेज आवाजे आने लगी और दस मिनिट बाद ही प्रिया के पति अपने लश्कर के साथ निकल गए… प्रिया की लाल और पनीली आंखों ने जैसे अपना सारा दुख कह डाला था और बाहर आकर वह नकली मुस्कुराहट के साथ केक काटने लगी पर रहीसी और दिखावे के पीछे का दर्द चाहकर भी नही छुपा पा रही थी..

दूसरी सभी महिलाओं को भी समझ आ गया था की प्रिया ने सुख और दिखावे के आवरण में खुद को सिर्फ अपना दर्द

छुपाने के लिए समेटा हुआ है….और एक बड़ा सबक लेकर सब अपने अपने घर चली गई…..

स्वरचित, मौलिक रचना

#दिखावा

कविता भड़ाना

फरीदाबाद

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