आस्था – मधु मिश्रा

“अनन्या बेटा, ग्यारह बजने को आये केतकी ने अभी तक  नाश्ता नहीं किया है,आज हम लोगों का न करवा चौथ का व्रत है… तो इस बेचारी को क्यों भूखा रखी हो … चलो तो थोड़ी देर के लिए तुम भी आराम कर लो और इसे भी कुछ खाने पीने को दो….. I”  ये कहते हुए अम्मा ने केतकी को जो उनके घर की बहुत पुरानी नौकरानी है, उसे पकड़ कर बिठा दिया और बुदबुदाने लगीं.. “नाक में जान रखी है इसकी ,,, पर टाईम से कभी नहीं खाएगी … और फ़िर जब देखो बोलेगी अम्मा ग्लूकोज़ है क्या.. चक्कर लग रहा है..!”

“अरे अम्मा, आप चिंता मत करो मैं भाभी से माँग कर  खा लूँगी न .. वैसे भाभी भी मुझे कई बार बोल चुकी हैं, लेकिन!” केतकी कुछ कहते हुए अटक गयी…

“तो… फ़िर क्यों नहीं खाई.. क्या हुआ रे , क्या बोल रही है  ..चुप कैसे हो गयी …? ” अम्मा थोड़ी परेशान होकर  उससे बोलीं..

” अम्मा…. क्या है न… हम भी…. आज… करवा चौथ का व्रत करेंगे… धीरे से फुसफुसाते हुए केतकी बोली…

“किसके लिए…. वो जो तुझे छोड़कर चला गया है ..छह महीने से जिसका कोई अता पता नहीं..उसके लिए व्रत करेगी..! उसे तो न तेरी चिंता है, न अपने बच्चों की.. अरे जहाँ भी है.. कम से कम एक फ़ोन तो करता… !” अम्मा ने दोगुनी आवाज़ में कहा..

” आयेंगे न अम्मा, मेरा दिल कहता है कि वो ज़रूर आयेंगे..हो सकता है कि वो किसी परेशानी में फंस गये हों, असल में.. अम्मा, तुम उस दिन कह रहीं थीं न.. कि पति की सलामती के लिए ये व्रत रखते हैं, इसलिये हमने भी आज रखा है..वैसे सच बतायें अम्मा तो ये सिंदूर के कारण ही तो हमारी हिम्मत बँधी है.. वरना दो दो बच्चों के साथ,,, अकेली औरत को,.ये दुनिया वाले  साँस भी लेने नहीं देते…! ” ये कहते हुए केतकी के आँसू उसके गालों पर लुढ़क गये…




” अरे, पागल.. त्यौहार बार को आँसू नहीं बहाते.. चल चाय तो पीले…! ” अम्मा ने केतकी से मनुहार करते हुए कहा …

” नई अम्मा.. रात तक की तो बात है…सिर दुखेगा तो हम भाभी से माँग लेंगे न…! “ये कहते हुए केतकी अनन्या को उसके कमरे से बुला लाई-” चलो भाभी रसोई में और क्या-क्या बनाना बना लेते हैं , ..

और अब,… ये दोनों मिलकर पूजा की तैयारी करने लगीं..

धीरे-धीरे दिन ढल गया.. पूजा की सारी तैयारी भी हो गयी.. और अब तैयार होकर ये लोग छत पर चाँद का इंतज़ार करने लगे… जैसे ही आसमान में चाँद के आने का उजाला हुआ.. अनन्या और अम्मा ने पूजा शुरू कर दी… पास बैठी केतकी भी… चाँद से प्रार्थना कर रही थी.. तभी.. उसकी सात साल की बेटी श्रद्धा दौड़ी दौड़ी आई और केतकी को फ़ोन पकड़ा कर बोली – ” माँ… लो बात करो…!”

“कौन है रे…??” बताती क्यों नहीं…! ” केतकी ने कहा

” बात तो करो…

“हेलो…” प्रति उत्तर में उधर से आती आवाज़ को सुनते ही केतकी फूट फूट कर रोने लगी…

“क्या हुआ… कहते हुए अनन्या और अम्मा दोनों पूजा छोड़कर केतकी के पास चले आए.. और उसकी बेटी से बोले.. “श्रद्धा किसका फ़ोन आया है रे ..?”

” बापू का.. “

ये शब्द सुनते ही अब आँसू तो अनन्या और अम्मा दोनों के ही गालों को भिगोने लगे ..और अब दोनों केतकी का हाथ पकड़ कर उठाते हुए उससे बोले – ” तेरा विश्वास जीत गया केतकी .. ले फ़ूल चावल और जल चढ़ा दे चाँद को.. देख ऊपर आकर आज तो ये तुझे देख कर ही मुस्कुरा रहा है …” अम्मा ने चुटकी लेते हुए कहा…

मधु मिश्रा, ओडिशा…

 

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