आपकी बहू तो बन सकती है, पर मेरी पत्नी नहीं: family story in hindi

प्रखर ने घर आते ही अपनी पैंट की जेब से उस कागज़ के टुकड़े को निकाला।”अनुभा” नाम उसके दिल और दिमाग में उथल-पुथल मचा रहा था। रह-रहकर उसका अतीत उसकी आंखों के सामने घूम रहा था।ओह!!तो मेरा मन सच ही बोल‌ रहा था,अनुभा इसी शहर में है।मेरे आस-पास ही है।आखिर इतनी दूर क्यों चली गई मुझसे तुम?और अब लौटी भी हो तो ऐसे।

प्रखर ख़ुद से बातें किए जा रहा था, तभी अनुष्का चाय की ट्रे लेकर कमरे के अंदर आई।प्रखर को परेशान देखकर उसने बिना कुछ बोले चाय का प्याला पकड़ा दिया।अपने चश्में को ठीक करती हुई बोली”आप हांथ मुंह धोकर फ्रेश हो जाइये,मैं खाना लगवा रही हूं।”

प्रखर जाती हुई अनुष्का को देख रहा था।कितनी शांत है यह,कभी उत्तेजित नहीं होती,कभी किसी बात की जल्दबाजी नहीं रहती इसे।कोई नहीं कह सकता ये दोनों सगी बहनें हैं।अनुभा की चंचलता और शोखियों ने ही दिल चुराया था प्रखर का।

विदेश से एम बी ए करने के बाद घर पहुंचते ही मां ने अपनी सहेली रंजना के घर पर चलने का आदेश दिया था।शाम को मां के साथ रंजना आंटी के घर पहुंचने पर जोरदार स्वागत हुआ था दोंनो का।मां तो अनुष्का के हाथ के खाने की फैन ही बन गई थी।

रंजना आंटी पूरे समय अपनी बड़ी बेटी अनुभा के बारे में ही बात करतीं रहीं।अनुष्का उससे तीन साल छोटी थी। ड्राइंग रूम में अनुभा की ढेर सारी तस्वीरें लगी थीं ट्राफियों के साथ।प्रखर को अनुष्का का व्यक्तित्व बहुत पसंद आया था।

घर पर नहीं थी वह,पूछने पर पता चला स्विमिंग प्रतियोगिता में गई है,क्लब टाउन।घर पर जो थी ,उसके साथ मां बातें कर रही थीं।प्रखर अनुष्का में कोई दिलचस्पी नहीं ले रहा था।वह कनखियों से बस अनुभा की तस्वीरों को ही देख रहा था।

चलते समय मां की तरफ देखकर जब रंजना आंटी ने कहा”अरे सुषमा,बड़ी की बिना पक्की किए मैं छोटी का रिश्ता कैसे पक्का कर दूं?”तब मां ने संयत होकर कहा था”देख ले तू,कुंडली तो भिजवा ही देना अनुष्का की।

मेरा मन कहता है यही मेरी बहू बनेगी।मंदिर में इसे देखकर ही मैंने पसंद कर लिया था।वो तो बाद में पता चला कि ये तेरी बेटी है।”

प्रखर का माथा ठनका,ये क्या !कहीं मां मेरे लिए उस चश्मिश को तो पसंद नहीं कर आई।बहन जी टाइप के कपड़े पहनने वाली,दो चोटियां लटकाकर घूमने वाली लड़की से कैसे कर सकता हूं मैं शादी?मुझे तो अपनी टाइप की बिंदास और स्मार्ट लड़की चाहिए।

घर पहुंच कर जब मां ने प्रखर से अनुष्का के बारे में पूछा तो उसने सीधे शब्दों में ना बोल दिया”नहीं मां!वो मेरे टाइप की नहीं है।आपकी बहू तो बन सकती है ,पर मेरी पत्नी बनकर हाई सोसायटी में उठने-बैठने लायक तो नहीं लगी मुझे।”प्रखर की बात सुनकर मां बस इतना ही बोली”बेटा ज़िंदगी तेरी है,शादी तुझे करनी है।

तू जिसे पसंद नहीं करता उसके साथ शादी करके मैं उस लड़की को धोखा क्यूं दूं?पर हां,एक बात कहूंगी,हर चमकदार चीज़ सोना नहीं होती बेटा। 

आधुनिकता की चकाचौंध में कुछ समय तो अच्छा लगता है पर,अधिक रोशनी भी आंखों को चुभने लगती है।किसी के पहनावे और खूबसूरती से उसके चरित्र का पता नहीं चलता।अनुष्का बहुत सुलझी हुई और पढ़ने में होशियार है। बुजुर्गों के लिए उसके मन में सम्मान है,यह मैंने परख लिया है पहले ही।ख़ैर,तुझे नहीं पसंद तो मैं रंजना को मना कर दूंगी।नियति में जो लिखा होगा,वही होगा।”

प्रखर ने चैन की सांस ली और क्लब टाउन पहुंचा ।वहां अनुभा को पहचानने में कोई ग़लती नहीं हुई उससे।उसने खुद ही अपना परिचय दिया था अनुभा को।उसकी बेबाकी और दिलकश मुस्कान पर एक ही नज़र में दिल हार बैठा था प्रखर।

घर आकर मां को सब सच बता दिया था उसने।मां ने कुछ नहीं कहा और रंजना आंटी को अनुभा के साथ प्रखर की शादी का प्रस्ताव दे डाला।रंजना ने अपने पति के साथ आकर प्रखर का टीका भी कर दिया। अनुष्का आई थी साथ में।साधारण पहनावे में उसका रूप असाधारण लग रहा था।

अनुभा से प्रखर प्रायः रोज़ ही मिलता था।

उसकी महत्वाकांक्षाएं सुन-सुनकर प्रखर अभिभूत हो जाता था।घर आकर मां से जब-जब अनुभा की तारीफ करता तो मां हंसकर कहती”बेटा चुंबक भी तभी अपना महत्व रखता है ,जब दोनों छोर विपरीत हैं।अगर परिवार में पति-पत्नी दोनों का ही एक स्वभाव रहेगा तो,गृहस्थी की गाड़ी चलने में दिक्कत देगी।”

एक दिन मां ने शाम को प्रखर को एक जानकारी दी”मैं ना कहती थी,अनुष्का एक दम सही है तेरे लिए,देख आज पंडित जी ने भी कुंडली मिलाकर बता दिया।”” ओह मां!कहां तुम कुंडली -वुंडली के चक्कर में पड़ी हो ,मैंने अनुभा को चुन लिया है बस।

“प्रखर अपनी मां के द्वारा अनुष्का की तारीफ बर्दाश्त नहीं कर पाता था। जब-जब अनुभा को घर छोड़ने गया प्रखर ,दरवाजा अनुष्का ने ही खोला था।उसे हमेशा चश्मा लगाए पढ़ाई करते ही देखा था प्रखर ने।तय समय पर बारात लेकर प्रखर पहुंचा था आज से छः महीने पहले ससुराल।बारातियों के स्वागत के बाद ,रंजना आंटी काफी परेशानी में थीं और मां से फोन पर बात कर रहीं थीं।

प्रखर को आभास हो गया था कि कहीं कुछ गड़बड़ है जरूर।सामने जाकर जब रंजना आंटी से पूछा तो बिलखते हुए उन्होंने बताया कि अनुभा अपने किसी इंटरव्यू को लिए दोपहर को निकली थी,अब तक वापस नहीं आई।प्रखर के तो मानो होश उड़ गए थे।

अनुभा का परिवार दहशत में था तभी मां रंजना आंटी के घर आ पहुंची,दोनों में काफी देर तक‌ बात-चीत हुई।थोड़ी ही देर में जयमाला की घोषणा कर दी गई पंडित जी के द्वारा।प्रखर समझ ही नहीं पा रहा था कि क्या हो रहा है,तब उसने अपनी मां से बात की अनुभा के गायब होने की।

मां बड़ी समझदार थी ,झट से बोली”देख प्रखर,आज तेरी शादी से दो परिवार जुड़ने वालें हैं।इनके ऊपर बहुत बड़ी विपत्ति आई है।ऐसे समय में इनके साथ रहना हमारा फ़र्ज़ है।तुझे इस परिवार को लांछन से बचाने के लिए, अनुष्का से शादी करनी पड़ेगी। अनुष्का पहले तो राजी नहीं हुई पर बाद में परिवार के लोगों द्वारा समझाने पर मान गई थी।

जिस शादी को लेकर प्रखर ने इतने सपने देखे थे,वही शादी अब अभिशाप लग रही थी। जयमाला हो गई,फेरे हो गए, सिंदूर और मंगलसूत्र भी पहना दिया था उसने अनुष्का को,पर उसकी तरफ देखा तक नहीं एक भी बार,प्रखर।आज एक लड़की शादी नहीं कर रही थी बल्कि एक पूरा कुल, खानदान और परिवारों का गठबंधन हो रहा था।

बारातियों को भी इस बात की भनक नहीं लगी कि दुल्हन बदल गई है।मां पहले ही घर पहुंच कर अपनी लाड़ली के स्वागत की तैयारी कर चुकी थी।प्रखर ने उन्हें कुछ भी बोलना उचित समझा।नफ़रत हो गई थी उसे अनुष्का से।मां के मन की मुराद पूरी करने के लिए ही शायद नियति ने यह खेल खेला। देखते-देखते छः महीने बीत गए उसकी शादी को।

प्रखर ने पहली रात ही अनुष्का को सता दिया था कि उसके लिए अनुभा को भूलना असंभव है।वह एक ना एक दिन जरूर वापस आएगी।”मां तो मानो अनुष्का के सेवा जतन से ऐसी अच्छी हुईं कि लगता ही नहीं कि कभी बीमार थीं वह। अनुष्का ने घर को अच्छे से संभाल लिया था और मां को भी।बस प्रखर उसका ना हो पाया था अब तक।

आज अपने ऑफिस में बैठकर जब वह अतीत को याद कर रहा था तभी चपरासी यह कागज देकर गया। सिर्फ नाम ही लिखा है,पर इस नाम का तो वह दीवाना है,कैसे भूल सकता है अपना पहला प्रेम।बुलवाने पर अनुभा अंदर आई ।

उसे पता नहीं था कि प्रखर मेनेजर है वहां।काफी बदली हुई थी वह,ना वह तेवर ,ना शोखी ना चंचलता।प्रखर की तरफ देखकर बस इतना ही बोली”मैं अपने किए पर बहुत शर्मिन्दा हूं,प्रखर।हो सके तो मुझे माफ़ कर देना।मम्मी -पापा ने मेरे साथ कोई संबंध नहीं रखा। छोटे-छोटे काम करके अपना गुजारा करती हूं।यहां वैकेंसी देख कर आई थी।

तुम हो मैनेजर तो मुझे नौकरी मिल ही जाएगी ना???नहीं ,अनुभा आज भी नहीं बदली।वहीं अधिकार जता रही है उस पर प्रखर ने सोचा।शायद नियति को यही मंजूर है कि वह अनुभा के साथ ही ज़िंदगी बिताए।तभी तो आज तक अनुष्का के साथ जुड़ नहीं पाया।

प्रखर का बदला व्यवहार ना तो अनुष्का से छिप सका और ना मां से।मां तो होती हीं हैं सूंघकर खतरा पहचान देने वाली। अनुष्का को कितना समझाया था मां ने”अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाना सीखा कर।अपना हुलिया जमाने के साथ बदलना जरूरी है बेटा।पति पर हक नहीं जताएगी तो वो हांथ से निकल जाएगा,,,और भी जाने क्या -क्या। अनुष्का हंसकर टाल रही थी।

एक दिन पता नहीं कैसे मां को पता चल गया अनुभा के बारे में शायद चपरासी से ही।मां ने शाम को सीधे बात की थी प्रखर से”हां तो! बोल बेटा, क्या सोचा है तूने अपनी जिंदगी के बारे में?अब तू अकेला नहीं है, अनुष्का भी तेरी जिम्मेदारी है।

अगर तुझे लगता है कि तू अनुभा के साथ ही रहेगा तो मुझे और अनुष्का को भेज दें कहीं।फिर तेरे जो जी में आए करना।जो लड़की अपने माता-पिता की इज्जत का ख्याल नहीं कर सकी ,अपने सपनों के लिए जिसने एक प्रेमी को धोखा दिया आज वही अपनी बहन की शादीशुदा जिंदगी उजाड़ने की तैयारी में है।वाह!एक ही मां की जनी दोनों बेटियों के चरित्र में इतना अंतर।”

प्रखर , अनुष्का से नजरें नहीं मिला पा रहा था।पता नहीं क्यों उसे बहुत बुरा लग रहा था उसके लिए।ज्यादा बातचीत तो होती नहीं थी दोनों में पर अनुष्का के चेहरे की मीठी हंसी उसे अपनी पीठ की तरफ से भी दिखती थी।क्या करे वह??

ईश्वर ने उसका खोया प्यार लौटाया है अब वह अनुभा को जाने नहीं दे सकता।शाम को ही अनुभा से बात कर ली थी उसने,मंदिर में शादी करने की।बाद में तलाक के पेपर भिजवा देगा अनुष्का को।मां तो मां है,कब तक रूठी रहेगी?

यही सोचकर आज प्रखर अनुभा को लेकर शॉपिंग जाने की सोचकर उसके किराए के घर में पहुंचा।अनुभा किसी से फोन पर बात कर रही थी”तुने क्या सोचा था?मेरे प्यार को अपने आंचल में बांधकर रख सकेगी?अरे!तुझे तो कपड़े पहनने तक कि सऊर नहीं है।मोटे चश्में में बिल्कुल भद्दी दिखती है तू।प्रखर ने तरह खाकर तुझसे शादी की थी 

,अपनी मां के कहने पर।वो तो तेरी चमची हैं।पता नहीं क्या पट्टी पढ़ाई है तूने कि मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं करती।मेरी किस्मत का सुख तू कैसे भोग सकती है?वो बंगला,गाड़ी , संपत्ति,और पति सब मेरा है जो तुझे उतरन में मिला है।

अब मैं आ गई हूं अपना हक वापस लेने।प्रखर आज भी मुझे ही प्यार करता है,तभी तो आज तक तेरी तरफ देखा ही नहीं।अरे तू तो उसकी ज़िंदगी में कभी थी ही नहीं।अपना सामान तैयार रखना,बहुत जल्दी ही तेरी उस घर से छुट्टी करेगी तेरी दीदी।”

प्रखर के कान सुन्न हो गए।तो यह है अनुभा का असली चेहरा।अपनी बहन की गृहस्थी में आग लगाने के लिए ये सोची समझी चाल है इसकी।ग़रीबी और बेरोज़गारी की लाचारी ढाल बनाकर काम में ला रही है।सारी ज़िंदगी सिर्फ अपने बारे में ही सोचा इसने।मुझसे प्रेम नहीं ,बल्कि अपनी छोटी बहन से ईर्ष्या की खातिर मुझे इस्तेमाल कर रही थी यह।हे भगवान!

प्रखर तुरंत घर पहुंचा मां से और अनुष्का से माफ़ी मांगने।मां के कमरे से अनुष्का की आवाज सुनाई दी”मां,आपका तो एक ही बेटा है ना।

आप क्या नहीं चाहती वे खुश रहें।अगर प्रखर अपने प्यार के साथ ज़िंदगी बिताना चाहते हैं तो इसमें बुरा क्या है?वो धोखा तो नहीं दे रहें,झूठ भी नहीं बोल रहें।मैं तो जबरदस्ती इस कहानी में बीच में आ गई थी।मेरा कोई किरदार ही नहीं लिखा भगवान ने उनकी जिंदगी में।देखिए मैं आप से साफ-साफ बोल रही,उन्हें कुछ मत कहिए।

करने दीजिए उन्हें दी के साथ शादी।मैं भी तो खुश रहूंगी अपनी दीदी को खुश देखकर।आपका और मेरा रिश्ता थोड़े ख़त्म होगा मां।

इससे ज्यादा और प्रखर सुन नहीं पाया।अंदर अनुष्का तलाक के पेपर पर हस्ताक्षर करके मां को दिखा रही थी।जिस औरत को मैंने पत्नी होने का अधिकार भी नहीं दिया वहीं मुझे दूसरी शादी करने का अधिकार स्वेच्छा से दे रही थी।एक बहन वो है जिसे अपनी छोटी बहन का सुख फूटी आंख नहीं सुहा रहा और एक बहन ये है जो उसकी खुशी के लिए अपने पति को तलाक दे रही है।

प्रखर जाकर लिपट गया मां से और फूट-फूटकर रोने लगा”मुझे माफ़ कर दो मां,बहुत बड़ी ग़लती करने जा रहा था मैं।”अपनी मां की पसंद को ठुकराकर अपनी नियति ख़ुद लिखने की सोचने लगा था।मैं कैसे भूल गया नियति तो पहले ही लिखा जा चुका होता है,बस उसे पहचानने का काम ईश्वर मां को सौंप देतें हैं।”

अरे मुझसे नहीं इससे माफ़ी मांग पगले।मां ने बेटे की पीठ पर हाथ फेरते हुए कहा।”अनुष्का,क्या तुम मुझे माफ़ कर पाओगी??”प्रखर ने अनुष्का को गले से लगा लिया और रोते हुए बोला।वह भी रो रही थी। आंसुओ को पोंछने के लिए जैसे ही उसने चश्मा उतारा ,प्रखर दंग रह गया उसकी कत्थई आंखों को देखकर।बाप रे!!!इतनी खूबसूरत आंखें मैंने कैसे नहीं देखी अब तक। अनुष्का ने प्रखर के चंगुल से निकलते हुए जैसे ही चश्मा आंखों पर लगाना चाहा,प्रखर ने चश्मा लेते हुए कहा”अब तो देख लेने दो इन कत्थई आंखों में अपनी नियति को।”

शुभ्रा बैनर्जी 

#नियति

(V)

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