आपके आशीर्वाद के बिना सब बेकार है….. : रश्मि प्रकाश

‘‘ये क्या अनर्थ कर दिया तुमने,  कितनी बार समझाया है तुम अपने कमरे से बाहर नहीं निकल सकती। घर में शुभ काम की तैयारी चलरही है, तुम अपना अशुभ साया लल्ला किशु पर मत पड़ने दो। अरे क्यों चाहती हो घर में जितने मेहमान आए हैं वो बातें बनाएं?‘‘ घर कीबड़ी बहू  सुचिता पावनी से गुस्से में बोल रही थी

‘‘ जी दीदी आगे से ध्यान रखूंगी, वो बस लल्ला की एक झलक देखने की इच्छा मन में ललक उठी। बस आप ही बता दें बारात कबनिकल रही?‘‘पावनी ने  पूछा

‘‘ बस अभी तेरे जेठ जी आ जावे फिर बारात निकलेंगी, देख छोटी कमरे में ही रहियो, वो गांव घर के लोग आए हुए हैं बिना बात तमाशा बन जायेगा। तू समझे है ना फिर क्या होगा। माँ बाबूजी भी बहुत व्यस्त हैं । बारात शहर जावेगी तो कुछ औरतें भी जा रही। मैं घर में ना रहूंगी पीछे से घर का ध्यान रखियों।‘‘ सुचिता ने देवरानी को हिदायत देते हुए कहा

‘‘ हाँ दीदी, फिर भी आप सब विदा करा के निकलो तो खबर भिजवा देना । मैं अपनी कोठरी में चली जाऊंगी।‘‘ पावनी ने कहा

बारात जाने से पहले दूल्हा बना किशु पावनी से नजर बचाकर दरवाजे पर से जमीन पर पड़े उसके पदचिन्हों के आशीर्वाद से ब्याह करनेनिकल गया। मन में एक हुक सी दोनों तरफ थी।

‘‘ माँ ये क्या नियम बना हुआ है, विधवा औरतें किसी शादी समारोह, छठी ऐसे अच्छे माहौल में घर की कोठरी में बंद रहती है। क्या शुभअशुभ, अर्थ अनर्थ करते ये लोग!! दादा दादी ताऊ ताई जी सब मज़े कर रहे। किसी को जरा भी परवाह नहीं तुम पर क्या बीत रही होगी।वो तो बुआ दादी को इस बार न्यौता भी नहीं दिए कि फूफा जी गुजर गए तो अब वो विवाह समारोह में शामिल नहीं हो सकती बताओभला किशु से सबसे ज्यादा लाड वही करती थी उनको भी नही बुलाया।‘‘ आवाज में गुस्सा और माँ के लिए कुछ ना  कर पाने की खुदंककृतिका थे चेहरे पर साफ झलक रही थी



‘‘ बेटा कुछ नियम ऐसे बन जाते जो हम चाह कर भी तोड़ नहीं पाते, सुन तू अभी किशु की शादी में जा अच्छे से सब हो जाए बस यहीप्रार्थना कर रही। आज मैं कमरे से निकल किशु को देखने निकल गई थी कहीं कोई अनर्थ ना हो जाए।‘‘ हाथ जोड़कर प्रार्थना करतीपावनी ने कहा

‘‘ अरे कृति कहां रह गई?  जल्दी चल सब चले गए हम पीछे ना रह जाए।‘‘ दादी की आवाज से कृतिका माँ के गले लग निकल गई

शादी के बाद विदा होकर नई नवेली बहू कुंजिका के घर पहुंचने से पहले ही सुचिता ने ठकुराइन से खबर भिजवा दिया। पावनी घर ठीकठाक करने में व्यस्त थी। नए जोड़े के कमरे को अपनी निगरानी में बहुत अच्छे से तैयार करवा दिया था।

नई दुल्हन आ गई के शोर से पावनी जल्दी से कमरे में जाकर बंद होकर बैठ गई। बंद कमरे में भी कान नई बहू के स्वागत के रस्मों मेंलगा हुआ था, बस सब ठीक हो जाए कोई अनर्थ ना हो नहीं तो… सोच के कलेजा काँप उठा।

तभी उसके दरवाजे पर दस्तक हुई।

‘‘ कौन है?‘‘ पावनी ने पूछा

 ‘‘ माँ मैं हूं, दरवाजा खोलो ना।‘‘ चिरपरिचित आवाज से वो घबरा गई

दरवाजे पर दस्तक तेज होने से उसने दरवाजा खोल दिया।

सामने नया जोड़ा खड़ा था देख वो मुंह घुमाने लगी।

‘‘ माँ आपके आशीर्वाद के बिना इस घर में मेरा गृहप्रवेश कैसे हो सकता है?‘‘कहती हुई नई बहू कुंजिका पावनी के चरणों में झुक गई।

पावनी के आँखो से झर झर आँसू बहने लगे।




घर में सब काना फूसी कर रहें थे,ये क्या कर दिया नई बहू ने आते ही अनर्थ। गाँव घर में ऐसा कही हुआ है भला।

तभी कुंजिका सबके सामने हाथ जोड़कर खड़ी हो गई,‘‘ आप सब जिस रीति-रिवाज की बात करके किसी को कितनी तकलीफ़ देतेइसका अंदाजा भी आप सबको नहीं होता।पति के ना होने से उससे ज्यादा तकलीफ़ किसी और को हो सकता? वो सब कुछ बर्दाश्तकरती रहती। एक माँ अपने बच्चों की अच्छी परवरिश कर रही , उन्हें इस काबिल बना दिया कि वो अपने पैरों पर खड़े हो सके। किशु ने मुझे सब कुछ बता रखा था जो माँ इतने दर्द सहकर चुपचाप अपने बच्चों की खातिर बर्दाश्त कर रही थी,माँ की इसमें क्या गलती जोपापा उन्हें छोड़ कर चले गए। आप सब से विनती करती हूं इस दकियानूसी सोच को खत्म करें, जो पहले से दुखी है उसको और दुख देना कहां का न्याय है? मैं माँ के साथ रहकर सब रस्में करूंगी उनके आशीर्वाद के साथ क्योंकि मेरे पति की वो माँ है और उनको मान सम्मान देना मेरा फ़र्ज़।‘‘

 

कृतिका ने कहा,‘‘ माँ देखो कुंजिका ने वो कर दिया जो हम नहीं कर पाए। इसने घर आने से पहले ही कह दिया था, जिस माँ की वजहसे किशु मुझे मिला है उसके आशीर्वाद के बिना नए जीवन की शुरुआत करना बेमानी होगा।‘‘

तभी सास और जेठानी पावनी के पास आई और बोली,‘‘ हम तो सदा से जो चला आ रहा था वो मानते आ रहे थे। कुंजिका ने एहसासकरा दिया कि इसमें तेरी क्या गलती पावनी। तुने तो अपने दोनों बच्चों की ऐसी परवरिश की है कि वो सब समझते रहे पर तुम बुरा नामान जाओ सोच चुप रहें। कुंजिका ठीक ही तो बोली तेरे आशीर्वाद के बिना तेरे बच्चों की गृहस्थी कैसे शुरू होगी। जन्म देने वाली काआशीर्वाद सबसे ज्यादा फूलता फलता। चल अब कमरे से निकल और अपने बच्चों के आगे की रस्में पूरी कर। ‘‘

पावनी अपनी बहू को एक नजर देखा और गले लगा ली।अब इस घर में बहुत कुछ बदलेगा, सोच भी और रिवाज भी।

तभी सास की आवाज सुनाई दी,‘‘ अरे कोई जीजी को भी बुलावा भिजवा दो आकर मिल लें अपने लाडले की बहुरिया से।‘‘

 

दोस्तों समय बहुत बदल गया है पर आज भी बहुत जगहों पर उन औरतों के साथ अन्याय होता है जिनका पति उन्हें अकेला इस निर्दयीसंसार में छोड़ जाता है… जिस माँ ने अपने बच्चे जने उन्हें अपने बच्चों के किसी भी शुभ काम में शामिल नहीं होने दिया जाता…. आपसोच कर देखो उन्हें कैसा लगता होगा…… क्यों ना उनके लिए ये न्याय किया जाए शुभ कार्य में शामिल कर बच्चों को आशीर्वाद देउनके चेहरे पर भी उदासी के बादल हटाए जाए….

मेरी कहानी में कुंजिका ने तो एकदम करवा दिया कि जिसने जन्म दिया उसके आशीर्वाद और सामने रहने से अनर्थ कैसा।

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धन्यवाद

रश्मि प्रकाश

#अन्याय 

(S Plus S)

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