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आपका एहसान नहीं भूलेंगे – मीनाक्षी सिंह

हुआ कुछ यूँ कि रीना के पतिदेव सूरज अपने 6 साल के बेटे विनय  को उसका स्कूल ऑफ़ होने के बाद  अपनी एक्टिवा से लेकर आ रहे थे ! तभी नन्हा विनय गोलगप्पे खाने की ज़िद करने लगा ! रीना ने भी सूरज से कहा चलो ,,खिला देते हैँ इसका मन हैँ तो ! कौन सा हर रोज ज़िद करता हैँ ! तभी गाड़ी को साइड में खड़ा कर वो गोलगप्पे खाने लगे ! तभी अमेजन वाले  लड़के का फ़ोन आया रीना के पास ,मैम आपका पार्सल आ गया हैँ ! मैं आपके घर के बाहर खड़ा हूँ ,आप कहाँ हो ! रीना ने सूरज से कहा  जल्दी चलो पार्सल वाला आ गया हैँ ! सूरज ने जल्दी से विनय को बैठाया ,बैग आगे रखा ! चल दिया स्पीड से ! वो घर आयें पार्सल लिया ! चाय पी ! सूरज अपनी दुकान पर चला गया ! रीना भी बच्चों को लेकर दूध लेने चली गयी ! लौटकर आयी तो झाडू लगा रही थी ! सारा सामान व्यवस्थित कर रही थी तभी उसे विनय के स्कूल बैग की याद आयी ! पूरे घर में ढूंढ लिया ! बैग कहीं नहीं मिला ! रीना ने सूरज को फ़ोन लगाया ! सूरज भी हैरान रह गया कि बैग कहाँ गिरा होगा इतने लंबे रास्ते में ! दोनों एक दूसरे पर दोष मढ़ने लगे ! विनय भी अपने बैग के खोने से बहुत दुखी था ! बोला – मम्मा ,आज तो चोकलेट मिली थी स्कूल में मैने खायी भी नहीं ,,लाडो ( विनय की छोटी बहन ) के लिए रख ली  थी कि दोनों मिलकर खायेंगे ! उसमें मेरी नई वाली डोम्स की किट भी थी मम्मा !! बच्चों को घर पर अकेला छोड़ रीना पूरे रास्ते हर दुकान वाले से स्कूल बैग के बारें में पूछती रही ! फिर सूरज की दुकान आयी ! दुबारा सूरज फिर देखने गया बैग ! टेंशन इस बात की थी साल का जनवरी माह ,कोर्स की सारी किताबें ,डायरी सब कुछ था उसमें ! सूरज को भी बैग नहीं मिला ! दोनों लोग निराश होकर घर आ गए ! उस दिन किसी काम में मन नहीं लगा दोनों का ! क्लास टीचर को इनफॉर्म कर दिया कि बैग खो  गया हैँ ! वो भी कहने लगे इतनी लापरवाही क्यूँ करते हो आप लोग टीचर होकर भी !

अगले दिन मॉर्निंग में विनय को न्यू बैग ,बोक्स ,एक थ्री इन वन कॉपी दिलाकर स्कूल छोड़ आयें ! रीना भी सरकारी अध्यापिका थी ! वो विनय को छोड़कर अपने विद्यालय जा रही थी तभी उसने सुना उसका फ़ोन बज रहा हैँ ! कई बार बजने पर स्कूटी साइड कर उसने फ़ोन उठाया ! दूसरी तरफ से कोई आदमी बोल रहा था – आपका नाम क्या हैँ ,आपके पति का क्या नाम हैँ ,आपके बेटें का क्या नाम हैँ ?




रीना उसके सभी सवालों का जवाब देती रही ! फिर उसने बोला – कल आपके बेटे का स्कूल बैग गिर गया था क्या ?? इतना सुनते ही रीना की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा ! उसने कहा हाँ जी ! आप कहाँ हो ?? मैं आती हूँ लेने ! बहुत बहुत धन्यवाद आपका !!

आदमी बोला – नहीं नहीं मैडम ,धन्यवाद की कोई बात नहीं ,बच्चें का बैग हैँ ,बच्चें की पढ़ने की किताबें होती हैँ उसमें ! अच्छा हुआ उसमें डायरी थी जिससे मैं आपको फ़ोन कर सका ! नहीं तो आप और बच्चा अलग परेशान होता ,और मुझे भी तकलीफ होती ! मैं अभी तो आपकी जगह से 30 किलोमीटर दूर हूँ ! दोपहर 3 बजे मैं मेन रोड पर जहां आप रहते हो ! वहाँ मोमोज का ढेला लगाता हूँ ! मैं आपको वहीं मिलूँगा ! आप बैग ले जाइयेगा ! कल तो मैने ध्यान नहीं दिया रात हो गयी थी ! ना ही पता था कि इसमें डायरी हैँ ! दूर जाना होता हैँ ! ठंड का समय हैँ ! इसलिये ढेला लेकर चला गया ! माफ कीजियेगा ,कल आप लोग परेशान हुए होंगे !

रीना – बहुत बहुत धन्यवाद भईया ! आप जैसे लोग भी हैँ दुनिया में !

रीना लौटते समय सूरज के साथ बैग लेने गयी ! टूटा फूटा ढेला ,उसके ऊपर दूर से ही चमकता विनय का बैग ! विनय देखते ही चिल्लाया – मम्मा मेरा बैग ! मोमोज वाले भईया ने बैग दिया ! विनय के सर पर हाथ फेरा ! बोले – मोमोज खायेगा छोटू ! रीना ,सूरज ,बच्चों सभी ने मोमोज खायें ! भईया मोमोज के पैसे नहीं ले रहे थे ! पर सूरज ने बहुत आग्रह किया ,मजाकिया अन्दाज में बोला – घोड़ा घास से दोस्ती करेगा तो खायेगा क्या ! भईया ने हँसते हुए माथे से लगाकर पैसे रख लिए ! शायद ये उनकी पहली बोनी थी ! रीना और सूरज ने धन्यवाद बोला और चल दिये !

रास्ते में रीना सूरज से बोली – ईमानदारी आज भी ज़िंदा हैँ सूरज ! चाहे तो बेचारा गरीब था ,अपने बच्चों को दे देता बैग ,उसमें वाटर बोतल ,लंच बोक्स ,पेंसिल बोक्स ,किट कॉपी सब था ! कौन सा बैग में ट्रैकर लगा था जो हम जान जातें !

सूरज बोला – दुनिया में हर तरह के इंसान हैँ रीना ! पर कुछ भी हो ,मोमोज वाले भईया ने दिल  जीत लिया !

पाठकों ,ये सूरज और रीना मैं और मेरे पतिदेव हैँ और ये वाकया 19 जनवरी का हैँ

मीनाक्षी सिंह की कलम से

आगरा

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