आंखो पर चर्बी चढ़ना – रंजीता पाण्डेय : Moral Stories in Hindi

बेटा ,बेटा रोहन आज मेरी दवा ले आना | रामदास जी ,चार दिनों से रोहन  को बोल रहे थे |ठंड के कारण रोहन बाहर नहीं जाना चाह रहा था |

रोहन ने बोला पापा में दवा  की दुकान पे फोन करके बोल देता हूं| आपकी दवा   आ जाएगी | बेटा पैसा बहुत अधिक लेता है |

रहने दो मै ही जा के धीरे धीरे ले आता हूं |पापा आप बस पैसा पैसा  करते है ,इतना पैसा तो है ,चार पैसे बचा के क्या कर लेगे |

मै तो इतनी ठंड में  नहीं जाऊंगा | बेटा पैसों का जो तेरे  “आंखों पे चर्बी चढ़ी है ना,वो ठीक नहीं है | थोड़ा हाथ पैर चला लिया कर |

तेरे लिए अच्छा रहेगा | राम दास जी ने बीपी की दवा दो दिन से नहीं खाया था | जिस कारण उनकी तबियत खराब हो गई |

फिर क्या था ,रोहन ने जल्दी से एंबुलेंस बुलाया और हॉस्पिटल ले के गया | डॉक्टर ने बोला इनका बीपी बहुत ज्यादा बढ़ गया है |

अब दो ,चार दिन हॉस्पिटल में ही रखना होगा | रोहन को लगा उससे बहुत बड़ी गलती हो गई |

अगर रोहन ने समय से दवा ला दिया होता तो ,शायद आज पापा की ये हालत नहीं होती |

रामदास जी बिस्तर पर पड़े ,सोच रहे थे ,आज कल बच्चों के अंदर बहुत ही “अहंकार “आ गया है ,थोड़े से पैसे क्या आ गए | सोचते है ,

कुछ काम ना करना पड़े सब कुछ घर बैठे ही हो जाए |रोहन को बुलाया और बोले देखा बेटा ,इसी दिन रात के लिए मै पैसे बचाना चाहता हूं |

ताकि दुख में किसी के आगे हाथ ना फैलाना पड़े | जब तक आप स्वस्थ हो काम करो | अभी से आलस करोगे तो बहुत दुख झेलना पड़ेगा |

 

रंजीता पाण्डेय

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