आखिर कब तक – नीलिमा सिंघल 

रात के 12 बज गए थे पर तनुजा की आँखों मे नींद नहीं थी वो बार बार फोन उठाती कुछ देखते फिर रख देती,

नीलेश बहुत देर से तनुजा की हरकतों को देख रहा था पर जब रहा नहीं गया तो झुंझला कर बोला,” क्या, तनुजा, सारा दिन मोबाइल हाथ मे रहता है और अब रात को भी,,सोना है कि नहीं, जब सुबह नहीं उठ पाओगी तो चिड़ चिड़ करोगी “

तनुजा ने फोन रख दिया कुछ सोचती सी बोली,” नीलेश, देखो ना! इस बार भी हमेशा की तरह….”

बात पूरी करते हुए नीलेश की तरफ घूमी तो देखा वो तो गहरी नींद मे सो चुका था।

पूरी रात तनुजा उठ उठ कर फोन चेक करती रही।

सुबह उठकर बच्चों का नाश्ता बनाते बनाते भी बार बार फोन देख रही थी कि नीलेश बोला ” क्या यार तनुजा रात से देख रहा हूँ,,किसके फोन का इंतजारी है जो बैचेन हो रही हो “

तनुजा ने कहा,” नीलेश तुम्हें छोड़कर कहीं नहीं जाऊँगी मैं इतनी जल्दी, फिक्र मत करो “

बेटी समीक्षा ने गले लगते हुए कहा, “माँ परेशान मत हो, मुझे फर्क नहीं पड़ता अब “

“पर बेटा,”तनुजा बात पूरी भी कर पायी थी कि नीलेश ने कहा, ” तनु मैं ऑफिस जा रहा हूं, और तुम ज्यादा परेशान मत हो “

“परेशान ना होऊं,  कैसे कह देते हो नीलेश तुम?”तनुजा लगभग चिल्लाते हुए बोली ।




समीक्षा बोली,” माँ ये पहली बार नहीं है और अब तक हमारे साथ साथ आपको भी आदत हो जानी चाहिए थी “

तनुजा दोनों को जाते हुए देखती रही उनके जाने के बाद वही मेज पर सिर रखकर कुर्सी पर बैठ गयी, रोने से थोड़ा मन हल्का हुआ,

तभी उसकी बड़ी बहन का फोन आया, ” तनुजा, समीक्षा कहाँ है, फोन तो दे उसको जरा “

तनुजा ने कहा ” दी, वो तो स्कूल के लिए निकल गयी “

आवाज़ मे भारीपन था जो शैलजा उसकी बड़ी बहन को अंदाजा लगा, पूछा,” क्या हुआ तनु, क्यूँ रो रही है?”

” दीदी, आज मेरी बिटिया का सोलहवां जन्मदिन है,  पर देखो ना कल रात से किसी ने भी विश नहीं किया,,ना msg किया ना स्टेट्स पर कुछ डाला, “

शैलजा ने कहा,” तनु, क्यूँ दिल पर लेती है,  आज से पहले कभी किसी ने विश किया जो आज इतना परेशान हो रही है “

“पर दीदी औरों के खास दिन के लिए मुझे बार बार याद दिलाया जाता है,,सबका सब याद रहता है,,पर मेरी बारी…..”

“”बस यही कह सकती हूं,,कि तू अब ये सब सोचना और खुद को परेशान करना बंद कर दे “

शाम के लिए भरे दिल से उसने तैयारी की, और अपनी बिटिया का जन्मदिन बहुत अच्छी तरह मनाया।

रात को सोते सोते उसको याद आया कि 15 दिन बाद ही रानी का जन्मदिन है,,और कुछ सोचते हुए उसको हँसी आ गयी,  और वो चैन से सो गयी।




रीना तनुजा की नन्द की बेटी है

रीना के जन्मदिन से 4 दिन पहले ही उसकी सासु माँ का फोन आया और कहा ,” बहु, 4 दिन बाद रीना का जन्मदिन है तो उसको अच्छी तरह विश कर देना साथ ही मैसेज के साथ साथ स्टेट्स पर भी डाल देना, और हाँ,  समीक्षा को भी बोल देना अच्छे से मैसेज के साथ विश करे,  रीना को अच्छा लगेगा “

“अच्छा, ठीक है,” कहकर मन मे मुस्कराइ तनुजा।

रोजाना हिदायत के साथ फोन आते रहे तनुजा के पास।

रीना के जन्मदिन वाले दिन सुबह से ही उसने अपना फोन साइलेंट मोड पर डाल दिया और खुद को आराम दिया।

शाम को नीलेश ऑफिस से जब घर आया झुंझला कर बोला,” तनुजा,,,,,तनुजा कहाँ हो यार तुम,,वैसे तो सारा दिन सारी रात मोबाइल से चिपकी रहती हो और आज फोन देखने तक कि भी फुर्सत नहीं थी तुम्हें,, सुबह से माँ के कितने ही फोन आए ,,वो बहुत गुस्सा हैं,,” कहते हुए नीलेश ने अपने ही फोन से अपनी माँ को फोन मिलाया और निशा को पकड़ाते हुए बोला,” लो माँ से बात करो “

तनुजा ने बड़े आराम से फोन लिया और बोला, ” मम्मी जी नमस्ते, ” नीलेश बोल रहे हैं आपको मुझसे बहुत जरूरी बात करनी है “

“तनुजा, ये सब क्या है, कबसे याद दिला रही थी मैं कि आज रीना का जन्मदिन था और तुमने उसको विश भी नहीं किया ना ही समीक्षा से कोई भी जन्मदिन संदेश पोस्ट कराया,,तृप्ति बहुत नाराज हो रही है, ऐसे थोड़े ही ना रिश्ते निभाए जाते हैं अब जल्दी से उसको फोन करो “




तनुजा ने जवाब दिया, ” मम्मी जी अभी 15 दिन पहले समीक्षा का जन्मदिन गया था वो भी सोलहवां,,तब आपने आपकी बेटी ने,,रीना ने और आपकी लाडली बहु ने उसको विश किया ,मैं बड़ी बहु हूं,,इस नाते समीक्षा ने आपको सबसे पहले दादी बनाया,,पर आपको मैं कभी नजर नहीं आयी और ना ही मेरी बिटिया कभी नजर आयी “

नीलेश भौचक्का सा तनुजा बोलते हुए को देख रह था ।

“मम्मी जी आपकी बिटिया का जन्मदिन हो शादी की सालगिरह हो, आपके लाडले बेटे बहु ए जन्मदिन उनकी शादी की सालगिरह,,यहां तक कि आपके पोते और धेवती तक के खास दिन आपको याद रहते हैं,,पर मेरे लिए हमेशा आपके पास नसीहत रहती है, पर अब और नहीं,,,,,,क्यूंकि रिश्ते दोनों तरफ से निभाए जाते हैं, ,एकतरफ़ा नहीं,,जब आपको समझ आ जाए तब बात कीजिएगा मुझसे “

ये कहते हुए तनुजा ने फोन काटा और नीलेश को पकड़ा कर कमरे मे चली गयी,,सालों बाद उसका दिल हल्का हो गया था।

नीलेश चुपचाप उसको जाते हुए देखता रहा,,पर रोक नहीं पाया क्यूंकि जो भी कहा था,,था तो सब सच ही,

अखिर कब तक इस घुटन के साथ जीती तनुजा,

इतिश्री

,आपकी क्या राय है,,क्या सही किया तनुजा ने………

जवाब की प्रतीक्षा रहेगी

 नीलिमा सिंघल

1 thought on “आखिर कब तक – नीलिमा सिंघल ”

  1. वैसे ठीक किया लेकिन फिर अंतर क्या रह जायेगा अच्छे और बुरे लोगों में।

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