
आर्कषण/ विकर्षण – प्रीति सक्सेना
- Betiyan Team
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- on Mar 09, 2023
ज्योति के कॉलेज का आज पहला दिन… स्टाफ रूम में प्रिंसिपल सर ने सभी से परिचय करवाया…. सभी को सिर हिलाकर अभिवादन कर ही रही थी कि एक चेहरे पर आकर उसकी नज़र ठहर सी गई…. किताबी चेहरा….ऊंचा कद, आकर्षक देहयष्टि बोलती आंखे , सिनेमा के किसी हीरो की तरह वो शक्ल उफ्फ यही तो है उसके सपनों का राजकुमार…. जिसे हर वक्त उसकी निगाहें ढूंढती रहती थीं .. अपनी अधूरी तलाश की वजह से अब तक अनब्याही है… अब ईश्वर की मेहरबानी हो गई लगता है, जल्द ही मैं सुहागन हो जाऊंगी सोचकर मन में गुदगुदी सी होने लगी…. विचारों में विराम लगा …..जब शोभा जी ने उसे पुकारा!!
” ज्योति जी ये है आपका टाइम टेबल… इसी के हिसाब से आपको पीरियड्स लेना है”!!
” जी आभार” देखा तो सभी अपनी क्लासेस में जा चुके थे… दिल की जगह कुछ खाली सी लगी, कारण समझकर होंठों पर शरारती मुस्कुराहट आ गई!!
किससे पूछूं उस हीरो के बारे में सोच ही रही थी कि प्यून चाय के कप उठाने आ गया!!
” अरे सुनो… नाम क्या है तुम्हारा?”
” मैडम जी!! मैं भोला”!!
सारे प्रोफेसर्स यहीं स्टाफ क्वार्टर्स में ही रहते होंगे न? मन ही मन खुश होते हुए बोली “!!
” जी मैडम पर पुनीत सर पास की सोसायटी में रहते हैं, बाकि तो यहीं क्वार्टर्स में ही रहते हैं “!!
” ये पुनीत सर कौन “
” वो जो सबसे लंबे हैं और सुनहरे फ्रेम का चश्मा लगाते हैं न वो “!!
” ओह तो वो पुनीत हैं “
“अरे भोला… वो यहां क्यों नहीं रहते? घर तो बहुत अच्छे बने हैं यहां “!!
” वो तो है मैडम.. पर सर की मिसेज वकील हैं न, कोर्ट वहां से पास पड़ती है “!!
” मिसेज…… ये मिसेज कहां से आ गई? रोमांस शुरु नहीं हो पाया और खलनायिका पहले ही बीच में आ गई “!!
पढ़ाने में कम ज्योति का ध्यान पुनीत में ज्यादा रहा, दीवानगी की पराकाष्ठा थी …..इस पागलपन में वो ये भी भूल गई कि वो एक विवाहित पुरूष को प्रेम कर रही है… बस दिन रात पुनीत के करीब जाने के ,उससे बात करने के नित नए बहाने ढूंढती…. अब तो कॉलेज में कानाफूसी भी होने लगी, स्टूडेंट्स आपस में बातें बनाते, अश्लील फिकरे कसते एक दूसरे को पर
ज्योति जानकर भी अनजान बनी रहती!!
ऐसा नहीं कि पुनीत इन सब बातों से अनजान था…. चालीस वर्षीय गृहस्थ अपने परिवार पर आता हुआ संकट देख चिंतित था… जानता था
” कम उम्र का ये दैहिक आकर्षण है प्रेम से इसका कोई वास्ता नहीं, कुछ समय का आर्कषण है इसे विकर्षण में तो बदलना पड़ेगा “!
अपनी पत्नि रुचि को पूरी बातें विस्तार से बताई, पहले तो रुचि बहुत हंसी…. बाद में विषय की गंभीरता समझते हुए दोनों ने मिलकर एक योजना बनाई!!
रविवार को पुनीत ने, ज्योति को अपने घर आमंत्रित किया…. अब तो ज्योति आसमान में उड़ने लगी… अपीलिंग कपड़े, मेकअप पूरी तरह मेनका बनकर चली अपने विश्वामित्र को रिझाने!!
जैसे ही टैक्सी दरवाज़े पर रुकी…. योजना शुरु हुई ” पुनीत के तेरह वर्षीय पुत्र और दस वर्षीय पुत्री ने दरवाज़ा खोला….. हाई बुआ….. पापा आपने कहा था न… बुआ आने वाली है… देखिए बुआ तो आ भी गईं!!
आइए बुआ कहते हुए दोनों बच्चे, ज्योति को ड्राइंग रूम में ले आए….. सलीके से सजा कमरा जिसमें एक कुशल गृहणी के हाथ की स्पष्ट छाप
दिखाई दे रही थी … पुनीत और रूचि की विशाल तस्वीर…. ज्योति की आंखें रुचि के चेहरे पर अटक गई …….एक सन्तुष्ट आकर्षक चेहरा, पूर्णता की आभा लिए, एक सादगी और मातृत्व से भरी एक पत्नि और मां का रुप… जिससे नज़र हटाने को जी न चाहे ……ऐसा खूबसूरत चेहरा,
ज्योति को अपने पहनावे और भड़कीले मेकअप से खुद को ही हीनता नज़र आने लगी!!
” अरे आप खड़ी क्यों हैं? प्लीज़ बैठिए “ज्योति का
हाथ थामकर रुचि ने अपने समीप बैठा लिया… ज्योति कुछ बोलती अचानक पुनीत कमरे में आ गया, रात का पहना नाइट सूट जो सलवटों से भरा हुआ था बिखरे बाल…. जम्हाइयां लेता हुआ , पूरी तरह अस्त व्यस्त…. ये कैसा रुप? इस रुप की तो कल्पना ही नहीं की, कहां गया मेरा हीरो? ये तो ढीला ढाला एक उम्र वाला पति और पिता नज़र आ रहा है…. इसमें मुझे अपना प्रेमी तो कहीं दिख ही नहीं रहा…. उफ्फ ये क्या हो गया था मुझे…. कितनी बड़ी गलती करने जा रही थी मैं…. नहीं नहीं अब नहीं… अच्छा हुआ देर नहीं हुई, मैं बहुत बड़ी गलती करने से बच गई!! निर्णय लेते ही ज्योति के चेहरे पर सुकून भरी मुस्कुराहट आ गई जिसे पुनीत और रूचि दोनों ने महसूस किया!!
” क्या लाऊं आपके लिए चाय, कॉफी या जूस”पूरी बात कह पाती उसके पहले ही ज्योति खड़ी हो गई… माफ कीजिए मुझे एक जरूरी काम याद आ गया… बहुत अच्छा लगा” भाभी”
आपसे मिलकर, आज तो जाती हूं, अगली बार आपके हाथ का खाना खाकर ही जाऊंगी!!
” बाय सर.. बाय बच्चा पार्टी ” कहकर ज्योति तीर की तरह घर से निकल गई!!
पुनीत और रूचि ने एक दूसरे को देखा और मुस्कुरा दिए…
अब सब ठीक था, कम उम्र में देह आर्कषण को प्रेम समझ काफ़ी नवयुवक या नवयुवती गलत फहमी का शिकार हो जाते हैं, जिसे वो प्यार समझते हैं वो सिर्फ़ आर्कषण हैं जिसे सच्चाई के द्वारा विकर्षण में बदलना बहुत जरूरी है वरना कई लोगों की जिंदगी प्रभावित होगी जो सही नहीं है!!
#पांचवां_जन्मोत्सव
प्रीति सक्सेना
इंदौर
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