• infobetiyan@gmail.com
  • +91 8130721728

” भले घर की बहु ” – डॉ. सुनील शर्मा

जब कलम लेकर लिखने बैठता हूं तो अपने आस पास बिखरी सैंकडों कहानियां पाता हूं जिनके किरदार आगे आ आकर कहते हैं कि उन पर भी कुछ लिखूं. आज यादों में ऐसा ही एक किरदार उभर कर आया, हमारी गली के नुक्कड़ पर बैठा मोची…रामलाल

जबसे होश संभाला, रामलाल को मैंने हर रोज़ बिना नागा उसी जगह जूता चप्पल गांठते पाया. सुबह सवेरे ही वह तारपोलिन लगाकर अपना बक्सा खोलता और ग्राहक का इंतजार करने लगता. काफी चलने वाली गली थी इसलिए रामलाल के पास काम की कमी न थी. रबड़ की हवाई चप्पल में पैबंद लगाना हो या चमड़े के जूते का सोल, रामलाल अपना काम उसी लग्न से एक कलाकार की तरह करता था. कभी कभी जूता रख कर आना पड़ता था कि अगले दिन देगा. कभी पैसों के मामले में मैंने उसे किसी से झगड़ते नहीं देखा.




मैं अक्सर छोटे मोटे काम लेकर उसके पास जाता था. उत्सुकतावश एक दिन मैंने उसके परिवार के बारे में पूछा. एक ही लड़का था. उसे जी जान से पढ़ाया लिखाया. बी कॉम करने के बाद बैंक की परीक्षा में पास हो गया. सरकारी बैंक में क्लर्क है. वहीं किसी लड़की से शादी कर ली. हमें नहीं बताया क्योंकि वह किसी को ज़ाहिर नहीं होने देना चाहता था कि उसका उसका बाप मोची है. इसी शहर में अलग घर लेकर रह रहा है. माता पिता से कोई वास्ता नहीं रखता. बहु को भी उनके बारे में नहीं पता.

फिर एक दिन रामलाल दौड़ता हुआ मेरे पास आया.  चेहरा खुशी से चमक रहा था. बहु को किसी तरह रामलाल और उसकी पत्नी के बारे में पता चला. भले घर की लड़की है. एक दिन अचानक ही हमारे दरवाज़े पर आ गई. अपने बारे में बताया. वहीं से फोन करके हमारे बेटे को आने को कहा. शायद काफी बहस हुई, लेकिन बेटा आ ही गया.  हमारा सामान बंधवाया और अपने घर ले गए. अब उन्हें मेरे व्यवसाय से कोई एतराज़ नहीं. हां, लोन लेकर मेरे लिए जूते बनाकर बेचने की दुकान खुलवाने की बात कह रहे हैं. ऐसी बहु भगवान सबको दे.

आज ” रामलाल शूमेकर कंपनी ” दुकान का उद्घाटन था. मुझे भी बुलाया. बेटे के ऑफिस के साथियों के अलावा बहु के माता पिता भी थे. जब रामलाल और उसकी पत्नी ने मिलकर कैंची से रिबन काटा तो मेरी भी आंखें भर आईं.

– डॉ. सुनील शर्मा 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!