परिवार की कद्र – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi
” निशि..रोज तो तुम्हारा अपनी पड़ोसिनों के साथ ही उठना-बैठना होता है..अभी तो माँ-पापा जी के पास बैठो…उनसे बातें करो..।” आनंद निशि पर चिल्लाया।तब निशि भी उसी लहज़े में बोली,” तुम्हारे माँ-पिताजी तो चार दिन रहकर चले जायेंगे…काम तो मेरे पड़ोसी ही आयेंगे ना..।” ” पड़ोसी ही काम…तुम्हारा दिमाग तो ठीक..।” बात बढ़ती देख आनंद … Read more